हिन्दी मे टाईप करने के लिये इस टाईप पेड का उपयोग करे

Sunday 25 March 2012

गूंगी-बहरी सरकार के खिलाफ अन्ना का आंदोलन

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने रविवार को कहा कि वह 'गूंगी और बहरी' सरकार के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगे जो भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वालों को निशाना बनाए जाने पर आंखे मूंदे हुए हैं।

भ्रष्टाचार का भंड़ाफोड़ करने वालों के संरक्षण के लिए कठोर कानून बनाने और दिवंगत आईपीएस अधिकारी नरेन्द्र कुमार के लिए न्याय की मांग के वास्ते एक दिन के उपवास शुरू करने से पहले अन्ना ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करते हुए काफी लोगों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

उन्होंने आरोप लगाया कि इनमें से कई मामलों के तीन वर्ष गुजर जाने के बावजूद सरकार ने जांच नहीं कराई।

अन्ना ने कहा कि उनकी भ्रष्टाचार का भंड़ाफोड़ करने वालों माता, बच्चें, पिता, पत्नी न्याय के लिए कराह रहे हैं लेकिन सरकार गूंगी और बहरी हो गई है। उसे लोगों की कराह सुनाई नहीं दे रही है। इसके लिए बड़ा आंदोलन होगा। तब सरकार ध्यान देगी।

सरकार ने मनरेगा योजना शुरू की लेकिन ये लोग (भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वाले) इसे बेहतर बनाने की कोशिश में मारे गए।
अन्ना हजारे के उपवास का आयोजन करने वाले टीम अन्ना ने जन लोकपाल विधेयक को अमलीजामा नहीं पहनाने के लिए सत्तारूढ कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया।

टीम अन्ना के अनुसार, 2010 के बाद से भ्रष्टाचार की बुराई को उजागर करने की कोशिश में कम से कम 15 लोग अपना बलिदान दे चुके हैं। इसको ध्यान में रखते हुए भ्रष्टाचार का भंड़ाफोड़ करने वालों की सुरक्षा के लिए मजबूत व्यवस्था बनाए जाने की जरूरत है। (भाषा)

रोज एक व्यक्ति का अपहरण करते हैं माओवादी

ओडिशा में दो इतालवी पर्यटकों और फिर बीजद के एक आदिवासी विधायक का अपहरण माओवादियों की रणनीति के लिहाज से कोई नई बात नहीं है। 2008 और उसके बाद के चार साल में माओवादियों ने 1500 से अधिक लोगों का अपहरण किया और इनमें से 328 को मौत के घाट उतार दिया।

सुरक्षाबलों से जुड़े एक अधिकारी ने कहा ‍कि नक्सलियों की रणनीति पर नजर डालें तो जहां एक ओर पुलिस के कथित मुखबिरों को मौत के घाट उतारना उनकी फितरत में है, वहीं अपहरण के जरिए प्रशासन पर दबाव बनाना उनका पसंदीदा हथियार है।

आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि 2008 और उसके बाद के चार साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो पाएंगे कि माओवादियों ने 1500 से अधिक लोगों का अपहरण किया, जिनमें कई स्थानीय नेता और पुलिस प्रशासन के अधिकारी शामिल थे।

अधिकारी ने कहा कि अधिकांश मामलों में नक्सली छोटी बडी शर्तें मनवाने के बाद अपहृत व्यक्ति को छोड़ देते हैं लेकिन कई मामलों में वे पूरी बर्बरता से अपहृत की हत्या कर यह संदेश देने की कोशिश करते हैं कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे किसी भी हद तक जा सकते हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि 2008 में माओवादियों द्वारा अपहरण की 108 वारदात हुई। इनमें 280 लोगों का अपहरण किया गया और 47 लोगों को बड़ी बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया गया। सबसे अधिक 145 लोगों का अपहरण छत्तीसगढ़ में हुआ जबकि 96 के आंकड़े के साथ झारखंड दूसरे नंबर पर है।

मंत्रालय के मुताबिक 2009 में नक्सलियों ने 437 लोगों का अपहरण किया और मांगें नहीं माने जाने की स्थिति में 100 लोगों की हत्या कर दी। उस समय सबसे अधिक 146 लोगों का अपहरण झारखंड में हुआ जबकि 121 लोगों को छत्तीसगढ़ में अगवा किया गया।

दिलचस्प बात यह है कि अपहृत लोगों की हत्या के मामले में पश्चिम बंगाल शीर्ष सर्वाधिक बदनाम रहा, जहां 65 लोगों का अपहरण किया गया और उनमें से 34 को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया।

मंत्रालय ने बताया कि 2010 में नक्सलियों द्वारा अपहरण की 242 वारदात हुई। कुल 517 लोगों का अपहरण किया गया और इनमें से 118 को माओवादियों ने मौत के घाट उतार दिया।

सबसे अधिक 162 लोगों का अपहरण छत्तीसगढ़ में, 121 लोगों का झारखंड में, 74 का पश्चिम बंगाल में और 55 लोगों का ओडिशा में अपहरण किया गया। इस बार भी सबसे अधिक 59 लोगों को नक्सलियों ने पश्चिम बंगाल में मौत के घाट उतारा।

अधिकारी के मुताबिक यदि मध्य नवंबर 2011 तक के आकलन पर नजर डालें तो पाएंगे कि नक्सलियों ने 320 लोगों का अपहरण किया और इनमें से 63 को मौत के घाट उतार दिया। सबसे अधिक 100 अपहरण झारखंड में हुए।

नाटकीय रूप से बिहार में 78 लोगों का अपहरण हुआ, छत्तीसगढ़ के आंकड़ों में काफी कमी दर्ज की गई और 61 लोगों का अपहरण माओवादियों ने किया जबकि ओडिशा में 43 और पश्चिम बंगाल में 21 लोगों का अपहरण नक्सलियों ने किया। (भाषा)

Wednesday 14 March 2012

बिलासपुर SP राहुल शर्मा का सुसाइड

बॉस से परेशान थे बिलासपुर SP

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने वाले आईपीएस अधिकारी राहुल शर्मा का सुसाइड नोट बरामद हुआ है। पहले यह बताया जा रहा था कि एसपी राहुल शर्मा ने पारिवारिक समस्याओं से परेशान थे लेकिन बरामद हुए सुसाइड नोट ने इस कहानी को पलट कर रख दिया है। नोट से यह तो साफ हो गया है कि एसपी के ऊपर किसी उच्चाधिकारी का दबाव था। एसपी राहुल शर्मा ने खुदकुशी से पहले अंग्रेजी में नोट लिख छोड़ा जिसमें उन्होंने लिखा मैं अलग प्रवृत्ति का इंसान हूं और दबाव बर्दाश्त नहीं। बिलासपुर के एसपी राहुल शर्मा ने खुदकुशी से पहले अंग्रेजी में जो नोट लिख छोड़ा उसे उनकी पत्नी साधना की मौजूदगी में उनके कमरे से बरामद किया गया।
सुसाइड नोट के बारे में मीडिया को बताते हुए इलाके के पुलिस महानिरीक्षक जीपी सिंह ने कहा कि इस मामले में पूरी जांच की जाएगी। उनसे यह पूछा गया कि राहुल अपने किस सीनियर से परेशान थे तो उन्होंने कहा उनको कोई जानकारी नहीं है। बता दें कि एक तेज़ तर्रार आईपीएस अधिकारी के अचानक आत्महत्या की ख़बर ने समूचे राज्य को हिलाकर रख दिया। इस मुद्दे पर गुस्साई कांग्रेस ने विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी। नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे ने मांग की कि इस मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए।
बता दें कि भड़ास4पुलिस ने अपने पाठकों को सबसे पहले यह जानकारी दी थी कि आईपीएस राहुल शर्मा के ऊपर किसी उच्चाधिकारी का दबाव था। राहुल ने अपने सुसाइड नोट में अपने सीनियर अफसर पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया और अपने परिजनों से क्षमा मांगी। पत्र में राहुल ने मातापिता को संबोधित कर लिखा है आप मुझे माफ नहीं करेंगे। पत्नी को लिखा कि बेटे स्वामी और छोटू का ध्यान रखना उनको अच्छी परवरिश देना। भाई रोहित के लिए लिखा कि मां पिता का ध्यान रखे। पत्र में राहुल ने लिखा कि मैं इंटरफेरिंग बॉस से परेशान हूं, इस वजह से मेरी शांति भंग हो रही है। मंगलवार को उनके कमरे की तलाशी ली गयी। तलाशी का काम पुलिस राहुल शर्मा के परिजनों की मौजूदगी में हुआ।
2002 बैच के आईपीएस अधिकारी राहुल बिलासपुर से पहले रायगढ़ में बतौर एसपी तैनात थे। राज्यपाल के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के रुप में काम कर चुके राहुल शर्मा का इसी साल 6 जनवरी को राहुल शर्मा का तबादला बिलासपुर के लिए हुआ था।
एक दबंग पुलिस अफसर की खुदकुशी से सभी राजनीतिक दल और पूरा पुलिस महकमा सन्न है। मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। कुरुक्षेत्र के निवासी और दिल्ली में पढ़े-लिखे 37 वर्षीय राहुल शर्मा को 2002 में आईपीएस अधिकारी के रूप में दुर्ग में पहली पोस्टिंग मिली थी। उन्होंने दंतेवाडा एसपी के तौर पर काफी नाम कमाया। एक वक्त उन्होंने नक्सली मुठभेड़ में घायल जवानों को कंधे पर लादकर मदद पहुंचाई थी। तब वह बिलासपुर में पुलिस अधीक्षक थे. उनके अंतिम संस्कार में उनके कई परिजन मित्र, मातहत और अंत्येष्टि में हुजूम उमड़ पड़ा।
मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह भी अंत्येष्टि में पहुचे। राहुल शर्मा की मौत पर मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने कहा है कि हमने एक कर्मठ पुलिस अधिकारी को खो दिया है। प्रदेश के गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने राहुल शर्मा आत्महत्या की घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं।

आखिर क्यों चुनी मौत?

राहुल बहुत ही खुश मिजाज़, जिंदादिल और विषम से विषम परिस्थितियों में हार न मानने वाले व्यक्तियों में से थे। उनके द्वारा खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर लेने की बात असंभव सी लगती है। जिसकी गंभीरता से जांच होना बेहद ज़रूरी है। अजय ने बताया कि पुलिस की नौकरी में छोटी-बड़ी समस्याएं तो रोज़ आती हैं लेकिन मैं ये कतई मानने को तैयार नहीं राहुल जैसा जिंदादिल पुलिस अधिकारी आत्महत्या जैसा कदम उठाने के बारे में सोच सकता है। वहीं भड़ास4पुलिस को राहुल के मातहतों के माध्यम से पता चला है कि वह कुछ घंटे पहले तक बिल्कुल ठीक-ठाक थे, कहीं से भी ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि वह किसी मानसिक दबाव में थे। वह इस तरह का कदम उठाएंगे ऐसा किसी को अंदेशा भी नहीं था। वहीं इस घटना के बाद पूरा पुलिस महकमा सकते में है। आत्‍महत्‍या करने वाले अधिकारी राहुल शर्मा की उम्र 38 वर्ष बताई जा रही है। उसकी छत्‍तीसगढ़ के कई खतरनाक इलाकों में तैनाती रह चुकी है। जिनमें नक्‍सल से प्रभावित इलाका दंतेवाड़ा भी शामिल रहा है।

2002 बैच के आईपीएस अधिकारी राहुल बिलासपुर से पहले रायगढ़ में बतौर एसपी तैनात थे। राज्यपाल के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के रुप में काम कर चुके राहुल शर्मा का इसी साल 6 जनवरी को राहुल शर्मा का तबादला बिलासपुर के लिए हुआ था।
नक्सली हिंसा से बुरी तरह प्रभावित जिले दंतेवाड़ा में भी राहुल शर्मा की एसपी के रूप में तैनाती रही है। जहां वे करीब दो साल तक तैनात रहे। इस दौरान राहुल ने नक्सलियों के खिलाफ कई अभियानों का खुद नेतृत्व किया था। हालांकि, राहुल के कार्यकाल में नक्सलियों से हुई कुछ मुठभेड़ों में पुलिस के लिए काम कर रहे एसपीओ द्वारा 2009 में स्थानीय बेकसूर लोगों के मारे जाने का आरोप लगने से वे विवादों में भी आए थे। राहुल ने तब इन आरोपों पर कहा था, ‘यहां (नक्सल प्रभावित इलाकों में) हिंसा बढ़ेगी क्योंकि ये जंग जैसे हालात हैं। हमने जितनी भी मुठभेड़ की है, उसमें यही कहा गया है कि हमने निर्दोष लोगों को मारा है।

जब से बिलासपुर आए, तब से जीना हराम हो गया था उनका

 एसपी राहुल शर्मा की खुदकुशी के दो दिनों बाद उनके पिता, पत्नी व परिजन खुलकर सामने आए। परिजनों ने उनकी मौत के पीछे पुलिस सिस्टम को दोषी माना है, साथ ही इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग शासन से की है। शर्मा के पिता आरके शर्मा ने राज्य शासन द्वारा सीबीआई जांच की घोषणा को सही ठहराया है।
उन्होंने यह भी कहा कि न्याय मिलने तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी। वे मानवाधिकार आयोग से भी पूरे मामले की शिकायत करेंगे। दिवंगत एसपी की पत्नी जी.गायत्री शर्मा ने कहा कि सिस्टम में समय रहते सुधार लाना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई अधिकारी या कर्मचारी इसका शिकार न बने। वहीं दो दिन बाद भी उनका लैपटाप नहीं मिला।
एसपी राहुल शर्मा के दादा 90 वर्षीय बसंतराम शर्मा ने कहा कि करीब 8-10 दिनों पहले उनकी अपने पोते से बात हुई थी। इस दौरान उन्होंने बताया था कि विभाग के सीनियर अफसर उन्हें काम करने नहीं दे रहे हैं। इससे वे काफी परेशान हैं। उन्होंने पोते की मौत के लिए विभाग के वरिष्ठ अफसर को दोषी करार दिया है। उन्होंने मांग की कि जो भी अधिकारी दोषी है, उसे तत्काल निलंबित कर उसके खिलाफ जुर्म दर्ज किया जाए।
ताकि कोई और शिकार न हो : गायत्री
राहुल की पत्नी जी. गायत्री शर्मा ने पत्रकारों से कहा कि उनके पति सिस्टम के शिकार हुए हैं। वे जब से बिलासपुर आए थे, तब से उन्हें काम करने नहीं दिया जा रहा था। इससे वे बेहद परेशान थे। भविष्य में कोई अधिकारी या कर्मचारी डिप्रेशन में आकर ऐसा कोई कदम न उठाए, इसके लिए पुख्ता जांच और कार्रवाई की जानी चाहिए।
उनके पति ने अपने काम में दखल को लेकर कई बार उच्चधिकारियों से भी की थी,लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। एसपी को आशंका थी, गायब हो जाएगा नोट, आमतौर पर सुसाइड नोट लिखने वाला व्यक्ति उसे मृत्यु पूर्व जेब व ऐसी जगह छोड़ जाता है, जहां पुलिस या परिजनों की तत्काल नजर पड़ जाए। शर्मा को शायद आशंका थी कि बाहर होने पर उनका सुसाइड नोट गायब हो जाएगा। इसीलिए उन्होंने इसे अपने ब्रीफकेस में रखना मुनासिब समझा होगा।

(Source: Bhadas4police.com) 

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...