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Monday 12 March 2012

समस्याओं का गढ़ यूनिवर्सिटी

(Rajasthan) जयपुर। डगमगाई अर्थव्यवस्था के साथ राजस्थान विवि ढेरों समस्याओं से वर्षो से जूझ रहा है। हालात जब सिर से ऊपर गुजरे तो आक्रोश फूट पड़ा। विवि में रविवार को सिंडीकेट बैठक के दौरान यही हुआ। छात्र संघ पदाघिकारियों को मर्यादा भूल हिंसा की राह पकड़नी पड़ी। प्रशासनिक स्तर पर भी गरिमा तार-तार हुई। पुलिस को बल प्रयोग कर छात्र नेताओं को खदेड़ना पड़ा। लेकिन ऎसा क्या हुआ कि सारी हदें टूट गई। इसी की गहराई से तहकीकात की पत्रिका ने और जाना उन समस्याओं को जिन्होंने विवि में हंगामे के हालात पैदा कर दिए थे।
इतना शुल्क क्यों?
वर्षो तक टरकाने के बाद विवि ने उत्तर पुस्तिका दिखाने का 580 रूपए शुल्क तय किया। छात्र संघ पदाघिकारियों का कहना है कि जब उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन के लिए 200 रूपए शुल्क है तो उसकी प्रति देने में शुल्क क्यों?
सिंडीकेट में प्रतिनिघित्व
विवि एक्ट के तहत सिंडीकेट में छात्रों को प्रतिनिघित्व मिलना चाहिए, लेकिन वर्षो से दो सीटें खाली हैं। छात्र संघ सीटें भरने की मांग वर्षों से कर रहा है। सिंडीकेट में शिक्षकों, सरकार, राज्यपाल और कुलपति के प्रतिनिघि हैं लेकिन छात्रों की सीट खाली है।
ऑनलाइन से परेशानी
विवि में पहली बार समस्त परीक्षा आवेदन ऑनलाइन माध्यम से भरे गए। कहा गया कि इससे समस्या नहीं होगी लेकिन हुआ उलटा।
अधर में रखने की प्रवृत्ति
विवि में कई समस्याओं को योजनाबद्ध टाला गया। शोध छात्र प्रतिनिघि चुनाव में विजयी प्रत्याशी ने दो जगह प्रवेश ले रखा था। अगस्त में चुनाव के बाद दूसरे स्थान पर रहे छात्र प्रतिनिघि ने शिकायत की, लेकिन सत्र समाप्त होने को है तब  जाकर शोध छात्र प्रतिनिघि का कार्यालय खाली कराया गया है।
सेमेस्टर परिणाम लटका
विवि स्नातकोत्तर विभागों में पहली बार सेमेस्टर व्यवस्था शुरू की है। प्रथम सेमेस्टर परीक्षा के दो माह बाद भी अघिकांश परिणाम नहीं आए। विवि ने दावा किया था कि परीक्षा के 15 दिन बाद परिणाम हो जाएंगे।
सुविधा विहीन परिसर
पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष मनीष यादव ने विवि के मुख्यद्वार के निकट सुविधाघर बनवाने की कई बार मांग की। छात्र संघ अध्यक्ष प्रभा चौधरी पिछले 6 माह से यही मांग कर रही है लेकिन समस्या जस की तस है।
 छात्र संघ के किसी भी पदाघिकारी ने कोई मांग नहीं की। सोमवार को बैठक में उन्होंने जो मांग रखी हैं उन पर कार्रवाई की जाएगी।
निष्काम दिवाकर, कुलसचिव, राज. विवि
 छात्र संघ पदाघिकारियों के खिलाफ एफआईआर नहीं करानी चाहिए। समस्याएं संवादहीनता से होती हैं। सिंडीकेट के प्रतिनिघिमंडल को छात्रों से बात करनी चाहिए थी।
प्रो. ए. डी. सावंत, पूर्व कुलपति
  छात्रों की मांगे कुलसचिव को बताई गई हैं। नियमों के तहत छात्रों की सभी मांग पूरी की जाएगी।
प्रो. टी.एन. माथुर, प्रशासनिक सचिव, कुलपति
  छह माह बाद भी सुलभ कॉम्पलेक्स नहीं बने। लाखों खर्च कर प्रशासनिक भवन में एयर कूलिंग सिस्टम लगाया जा रहा है, यह छात्रों के पैसे से हैं। सिंडीकेट में हमारी सीटें नहीं भरी जा रही हैं।
प्रभा चौधरी, छात्र संघ अध्यक्ष, राज विवि
महिला आयोग पहुंचा विवि का हंगामा
राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति सचिवालय के बाहर प्रदर्शन के दौरान छात्रसंघ अध्यक्ष प्रभा चौधरी से अभद्रता का मामला राज्य महिला आयोग पहुंच गया है।
 प्रभा चौधरी ने सोमवार को आयोग अध्यक्ष लाडकुमारी से शिकायत की कि सिंडीकेट के दौरान कुलपति से मिलने गए थे, लेकिन वहां कुलपति के प्रशासनिक सचिव टीएन माथुर व राजेश शर्मा ने अपशब्दों का प्रयोग किया। इस पर आयोग अध्यक्ष ने कुलपति के प्रशासनिक सचिव माथुर से भी फोन पर घटना की जानकारी ली।
विवि में फिर प्रदर्शन
राजस्थान विश्वविद्यालय में सोमवार को भी छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। विश्वविद्यालय की ओर से छात्र संघ अध्यक्ष, महासचिव और उपाध्यक्ष के खिलाफ मामला दर्ज कराने के विरोध में छात्र संघ संयुक्त सचिव गौरव सैनी और एबीवीपी के मानसिंह के नेतृत्व में छात्रों ने विवि के मुख्यद्वार और कुलपति सचिवालय पर प्रदर्शन किया। छात्रों का आरोप था कि विवि प्रशासन छात्र नेताओं को प्रताडित कर रहा है। उन्होंने एफआईआर वापस लेने की मांग की।  सैनी का कहना है कि विवि प्रशासन मनमाने तरीके से नियम बना रहा है और छात्र प्रतिनिघियों को प्रताडित किया जा रहा है। बाद में छात्रों ने छात्र कल्याण अघिष्ठाता प्रो. आर. वी. सिंह से विवि प्रशासन के रवैये के खिलाफ विरोध जाहिर किया।
प्रशासनिक सचिव से मिले
छात्र संघ पदाघिकारियों ने विवि के प्रशासनिक सचिव और कुलसचिव से मुलाकात कर अपनी मांगें रखीं।
आरटीआई उत्तर पुस्तिका दिखाने के मनमाने शुल्क को वापस लेने, विघि परीक्षा के आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ाने, सिंडीकेट में छात्रों को प्रतिनिघित्व देने, छात्राओं की सुरक्षा व्यवस्था के लिए विवि परिसर में विभिन्न स्थानों पर कैमरे लगाने आदि की मांग की गई। साथ ही विवि की ओर से पदाघिकारियों के खिलाफ दर्ज कराए मामले वापस लेने की मांग भी की गई।

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