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Monday 12 March 2012

दिल्ली में गाड़ियों का धुआं

दिल्ली की लगभग 60 प्रतिशत आबादी गाड़ियों से निकलने वाली हानिकारक गैसों और धुंए से सीधे प्रभावित हो रही है। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की ओर से दिल्ली सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, सड़कों से लगभग 500 मीटर के दायरे में रहने वाले वाले लोग व्हीकलर(गाड़ियों के धुंए और धूल) प्रदूषण के घेरे में हैं।


रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी के लगभग 50 से 60 प्रतिशत लोग सड़कों से सटे करीब 500 मीटर के दायरे में रहते हैं। सीएसई की रिपोर्ट में हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट और टेरी के एक ताजा अध्ययन का भी जिक्र है। इसके मुताबिक दिल्ली में हर साल लगभग एक लाख लोग मौत के शिकार होते हैं, जिनमें लगभग तीन हजार लोग वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के चलते दम तोड़ते हैं।


सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने दैनिक भास्कर को बताया कि दिल्ली सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जल्द ही एक एक्शन प्लान और मॉनिटरिंग सिस्टम बनाएगी। इस पर हाल में एक बैठक भी हुई थी। राजधानी में करीब 64 लाख गाड़ियां पंजीकृत हैं। पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौती डीजल गाड़ियां हैं। पेट्रोल की अपेक्षा डीजल का उत्सर्जन ज्यादा खतरनाक है।


बच्चों की सेहत पर खतरनाक असर


सीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक एयर पॉल्यूशन का बच्चों की सेहत पर ज्यादा असर देखने को मिलता है। एक अध्ययन में देखा गया कि दिल्लीवासी बच्चों के फेफड़ों के काम करने की क्षमता गांव के बच्चों की तुलना में कम है।

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