मुंबई. कांग्रेस नेता निंबालकर हत्याकांड में कई गवाहों के मुकरने से चिंतित परिजनों ने बांबे हाईकोर्ट से मामले की सुनवाई अलीबाग से मुंबई स्थानांतरित करने की मांग की है। वर्ष 2006 में हुई कांग्रेस नेता पवनराज निंबालकर की हत्या की सुनवाई अलीबाग सत्र अदालत में चल रही है। उस्मानाबाद से राकांपा सांसद पद्मसिंह पाटील इस मामले में मुख्य आरोपी हैं।
पवनराज निंबालकर की पत्नी आनंदीबाई निंबालकर ने बांबे हाईकोर्ट में आवेदन कर मामले की सुनवाई पर रोक लगाने की भी मांग की है। इससे पहले, मामले की जांच कर रही सीबीआई ने हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर आरोप लगाया है कि पद्मसिंह मामले के गवाहों पर दबाव डालने के लिए अपने प्रभाव का उपयोग कर रहे हैं। सीबीआई ने अपनी याचिका के साथ दाखिल हलफनामे में पाटील को सत्र अदालत द्वारा दी गई जमानत रद्द करने की मांग की है। हलफनामे के अनुसार, मामले के छह गवाह अदालत में सुनवाई के दौरान मुकर चुके हैं।
जाच एजेंसी के पुलिस उपाधीक्षक समर राणा द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि गवाह सीबीआई के सामने पहले दिए गए बयानों से, प्रतिवादी (पाटील) द्वारा डाले जा रहे दबाव के चलते मुकर चुके हैं। हलफनामे के अनुसार, पाटील उस्मानाबाद लोकसभा सीट से सांसद हैं और खासा प्रभाव रखते हैं।
आनंदीबाई ने हलफनामे में कहा है कि हलफनामा दाखिल किए जाने के बाद तीन और गवाह मुकर गए। आज की तारीख तक कुल 34 में से नौ गवाह आरोपी के खिलाफ गवाही देने से इनकार कर चुके हैं। और उन्हें मुकरा हुआ घोषित कर दिया गया है। इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि अपराध जगत के सरगनाओं से जुड़े कुछ प्रभावी राजनीतिज्ञ गवाहों को भयभीत कर रहे हैं। मुख्य आरोपी पद्मसिंह पाटील का गहरा राजनीतिक प्रभाव है। गवाहों को लगातार धमकाया जा रहा है कि अगर उन्होंने अदालत में गवाही देने की जुर्रत की तो उनका हाल भी निंबालकर जैसा ही होगा। जून 2009 में गिरफ्तार पाटील को अलीबाग सत्र अदालत ने उसी साल सितंबर में जमानत दे दी थी। इसके बाद सीबीआई ने हाईकोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई गत वर्ष जुलाई में शुरू हुई और अभियोजन पक्ष अब तक 20 गवाहों से जिरह कर चुका है।
सीबीआई के अनुसार पाटील ने निंबालकर को मारने की साजिश रची थी, क्योंकि वह राजनीतिक परिदृश्य में उनके बढ़ते प्रभाव को अपने लिए खतरा मानते थे। उन्होंने निंबालकर को मारने के लिए 30 लाख रुपए की सुपारी दी थी। तीन जून 2006 को नवी मुंबई के कलम्बोली में निंबालकर और उनके ड्राइवर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
पवनराज निंबालकर की पत्नी आनंदीबाई निंबालकर ने बांबे हाईकोर्ट में आवेदन कर मामले की सुनवाई पर रोक लगाने की भी मांग की है। इससे पहले, मामले की जांच कर रही सीबीआई ने हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर आरोप लगाया है कि पद्मसिंह मामले के गवाहों पर दबाव डालने के लिए अपने प्रभाव का उपयोग कर रहे हैं। सीबीआई ने अपनी याचिका के साथ दाखिल हलफनामे में पाटील को सत्र अदालत द्वारा दी गई जमानत रद्द करने की मांग की है। हलफनामे के अनुसार, मामले के छह गवाह अदालत में सुनवाई के दौरान मुकर चुके हैं।
जाच एजेंसी के पुलिस उपाधीक्षक समर राणा द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि गवाह सीबीआई के सामने पहले दिए गए बयानों से, प्रतिवादी (पाटील) द्वारा डाले जा रहे दबाव के चलते मुकर चुके हैं। हलफनामे के अनुसार, पाटील उस्मानाबाद लोकसभा सीट से सांसद हैं और खासा प्रभाव रखते हैं।
आनंदीबाई ने हलफनामे में कहा है कि हलफनामा दाखिल किए जाने के बाद तीन और गवाह मुकर गए। आज की तारीख तक कुल 34 में से नौ गवाह आरोपी के खिलाफ गवाही देने से इनकार कर चुके हैं। और उन्हें मुकरा हुआ घोषित कर दिया गया है। इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि अपराध जगत के सरगनाओं से जुड़े कुछ प्रभावी राजनीतिज्ञ गवाहों को भयभीत कर रहे हैं। मुख्य आरोपी पद्मसिंह पाटील का गहरा राजनीतिक प्रभाव है। गवाहों को लगातार धमकाया जा रहा है कि अगर उन्होंने अदालत में गवाही देने की जुर्रत की तो उनका हाल भी निंबालकर जैसा ही होगा। जून 2009 में गिरफ्तार पाटील को अलीबाग सत्र अदालत ने उसी साल सितंबर में जमानत दे दी थी। इसके बाद सीबीआई ने हाईकोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई गत वर्ष जुलाई में शुरू हुई और अभियोजन पक्ष अब तक 20 गवाहों से जिरह कर चुका है।
सीबीआई के अनुसार पाटील ने निंबालकर को मारने की साजिश रची थी, क्योंकि वह राजनीतिक परिदृश्य में उनके बढ़ते प्रभाव को अपने लिए खतरा मानते थे। उन्होंने निंबालकर को मारने के लिए 30 लाख रुपए की सुपारी दी थी। तीन जून 2006 को नवी मुंबई के कलम्बोली में निंबालकर और उनके ड्राइवर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
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