बॉस से परेशान थे बिलासपुर SP
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने वाले आईपीएस अधिकारी राहुल शर्मा का सुसाइड नोट बरामद हुआ है। पहले यह बताया जा रहा था कि एसपी राहुल शर्मा ने पारिवारिक समस्याओं से परेशान थे लेकिन बरामद हुए सुसाइड नोट ने इस कहानी को पलट कर रख दिया है। नोट से यह तो साफ हो गया है कि एसपी के ऊपर किसी उच्चाधिकारी का दबाव था। एसपी राहुल शर्मा ने खुदकुशी से पहले अंग्रेजी में नोट लिख छोड़ा जिसमें उन्होंने लिखा मैं अलग प्रवृत्ति का इंसान हूं और दबाव बर्दाश्त नहीं। बिलासपुर के एसपी राहुल शर्मा ने खुदकुशी से पहले अंग्रेजी में जो नोट लिख छोड़ा उसे उनकी पत्नी साधना की मौजूदगी में उनके कमरे से बरामद किया गया।सुसाइड नोट के बारे में मीडिया को बताते हुए इलाके के पुलिस महानिरीक्षक जीपी सिंह ने कहा कि इस मामले में पूरी जांच की जाएगी। उनसे यह पूछा गया कि राहुल अपने किस सीनियर से परेशान थे तो उन्होंने कहा उनको कोई जानकारी नहीं है। बता दें कि एक तेज़ तर्रार आईपीएस अधिकारी के अचानक आत्महत्या की ख़बर ने समूचे राज्य को हिलाकर रख दिया। इस मुद्दे पर गुस्साई कांग्रेस ने विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी। नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे ने मांग की कि इस मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए।
बता दें कि भड़ास4पुलिस ने अपने पाठकों को सबसे पहले यह जानकारी दी थी कि आईपीएस राहुल शर्मा के ऊपर किसी उच्चाधिकारी का दबाव था। राहुल ने अपने सुसाइड नोट में अपने सीनियर अफसर पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया और अपने परिजनों से क्षमा मांगी। पत्र में राहुल ने मातापिता को संबोधित कर लिखा है आप मुझे माफ नहीं करेंगे। पत्नी को लिखा कि बेटे स्वामी और छोटू का ध्यान रखना उनको अच्छी परवरिश देना। भाई रोहित के लिए लिखा कि मां पिता का ध्यान रखे। पत्र में राहुल ने लिखा कि मैं इंटरफेरिंग बॉस से परेशान हूं, इस वजह से मेरी शांति भंग हो रही है। मंगलवार को उनके कमरे की तलाशी ली गयी। तलाशी का काम पुलिस राहुल शर्मा के परिजनों की मौजूदगी में हुआ।
2002 बैच के आईपीएस अधिकारी राहुल बिलासपुर से पहले रायगढ़ में बतौर एसपी तैनात थे। राज्यपाल के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के रुप में काम कर चुके राहुल शर्मा का इसी साल 6 जनवरी को राहुल शर्मा का तबादला बिलासपुर के लिए हुआ था।
एक दबंग पुलिस अफसर की खुदकुशी से सभी राजनीतिक दल और पूरा पुलिस महकमा सन्न है। मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। कुरुक्षेत्र के निवासी और दिल्ली में पढ़े-लिखे 37 वर्षीय राहुल शर्मा को 2002 में आईपीएस अधिकारी के रूप में दुर्ग में पहली पोस्टिंग मिली थी। उन्होंने दंतेवाडा एसपी के तौर पर काफी नाम कमाया। एक वक्त उन्होंने नक्सली मुठभेड़ में घायल जवानों को कंधे पर लादकर मदद पहुंचाई थी। तब वह बिलासपुर में पुलिस अधीक्षक थे. उनके अंतिम संस्कार में उनके कई परिजन मित्र, मातहत और अंत्येष्टि में हुजूम उमड़ पड़ा।
मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह भी अंत्येष्टि में पहुचे। राहुल शर्मा की मौत पर मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने कहा है कि हमने एक कर्मठ पुलिस अधिकारी को खो दिया है। प्रदेश के गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने राहुल शर्मा आत्महत्या की घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं।
आखिर क्यों चुनी मौत?
राहुल बहुत ही खुश मिजाज़, जिंदादिल और विषम से विषम परिस्थितियों में हार न मानने वाले व्यक्तियों में से थे। उनके द्वारा खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर लेने की बात असंभव सी लगती है। जिसकी गंभीरता से जांच होना बेहद ज़रूरी है। अजय ने बताया कि पुलिस की नौकरी में छोटी-बड़ी समस्याएं तो रोज़ आती हैं लेकिन मैं ये कतई मानने को तैयार नहीं राहुल जैसा जिंदादिल पुलिस अधिकारी आत्महत्या जैसा कदम उठाने के बारे में सोच सकता है। वहीं भड़ास4पुलिस को राहुल के मातहतों के माध्यम से पता चला है कि वह कुछ घंटे पहले तक बिल्कुल ठीक-ठाक थे, कहीं से भी ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि वह किसी मानसिक दबाव में थे। वह इस तरह का कदम उठाएंगे ऐसा किसी को अंदेशा भी नहीं था। वहीं इस घटना के बाद पूरा पुलिस महकमा सकते में है। आत्महत्या करने वाले अधिकारी राहुल शर्मा की उम्र 38 वर्ष बताई जा रही है। उसकी छत्तीसगढ़ के कई खतरनाक इलाकों में तैनाती रह चुकी है। जिनमें नक्सल से प्रभावित इलाका दंतेवाड़ा भी शामिल रहा है।
2002 बैच के आईपीएस अधिकारी राहुल बिलासपुर से पहले रायगढ़ में बतौर एसपी तैनात थे। राज्यपाल के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के रुप में काम कर चुके राहुल शर्मा का इसी साल 6 जनवरी को राहुल शर्मा का तबादला बिलासपुर के लिए हुआ था।नक्सली हिंसा से बुरी तरह प्रभावित जिले दंतेवाड़ा में भी राहुल शर्मा की एसपी के रूप में तैनाती रही है। जहां वे करीब दो साल तक तैनात रहे। इस दौरान राहुल ने नक्सलियों के खिलाफ कई अभियानों का खुद नेतृत्व किया था। हालांकि, राहुल के कार्यकाल में नक्सलियों से हुई कुछ मुठभेड़ों में पुलिस के लिए काम कर रहे एसपीओ द्वारा 2009 में स्थानीय बेकसूर लोगों के मारे जाने का आरोप लगने से वे विवादों में भी आए थे। राहुल ने तब इन आरोपों पर कहा था, ‘यहां (नक्सल प्रभावित इलाकों में) हिंसा बढ़ेगी क्योंकि ये जंग जैसे हालात हैं। हमने जितनी भी मुठभेड़ की है, उसमें यही कहा गया है कि हमने निर्दोष लोगों को मारा है।
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